रॉयल्टी और जीएसटी के दो करोड़ से अधिक के भुगतान के बाद NCERT की अनुमति मिली, इस बार भी जुलाई में मिलेगी नौ से बारहवीं तक की किताबें

रॉयल्टी और जीएसटी के दो करोड़ से अधिक के भुगतान के बाद NCERT की अनुमति मिली, इस बार भी जुलाई में मिलेगी नौ से बारहवीं तक की किताबें

■ यूपी बोर्ड जल्द  किताबें छपवाने की तैयारी में

■ बोर्ड पुस्तकों के प्रकाशन की शुरू करेगा प्रक्रिया

08 अप्रैल 2025
प्रयागराज । एक सत्र के अंतराल के बाद यूपी बोर्ड ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (एनसीईआरटी) की किताबों के प्रकाशन की तैयारी शुरू कर दी है। रॉयल्टी और जीएसटी के दो करोड़ से अधिक के भुगतान के बाद एनसीईआरटी ने अपनी अधिकृत किताबें छापने की अनुमति बोर्डको दे दीहै। अब किताबोंके प्रकाशन के लिए जल्द टेंडर जारी होगा। सारी औपचारिकता पूरी होने में कम से कम तीन महीने का समय लग जाएगा। बोर्ड से जुड़े 27 हजार स्कूलों में पढ़नेवालेकक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को जुलाई के पहले या दूसरे सप्ताह में किताबें मिलने की उम्मीद है। 

पूर्व के वर्षों में भी अमूमन जुलाई में ही बाजारों में किताबें उपलब्ध हो सकी थीं। वैसे तो प्रदेशभर के माध्यमिक स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2025-26 की शुरुआत एक अप्रैल से हो चुकी है, लेकिन बोर्ड को शासन से प्रकाशकों पर बकाया रॉयल्टी-जीएसटी के भुगतान के लिए शासन से मंजूरी लेने में समय लग गया। इस धनराशि का भुगतान नहीं होने के कारण ही पिछले साल बोर्ड एनसीईआरटी की सस्ती और मानक किताबें नहीं छपवा सका था।





यूपी बोर्ड ने रायल्टी के चुकाए 2.99 करोड़ रुपये, जुलाई में नई पाठ्यपुस्तकें, टेंडर निकालकर हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की किताबें छपवाने में लग सकते हैं तीन महीने

• रायल्टी का पैसा न चुकाने पर एनसीईआरटी ने नहीं दी थी पाठ्यपुस्तकें छापने की अनुमति

25 मार्च 2025
प्रयागराज : इस वर्ष हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के छात्र-छात्राएं  राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) आधारित पाठ्यक्रम की नई पाठ्यपुस्तकों / से पढ़ाई करेंगे। पिछले दो वर्ष एनसीईआरटी ने वर्ष 2020-2021 की रायल्टी का 2.99 करोड़ रुपया नहीं दिए जाने पर यूपी बोर्ड को पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित कराने की अनुमति नहीं दी थी। अब रायल्टी के बकाए का भुगतान कर दिए जाने की से पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन में कोई अड्चन नहीं है। ऐसे में यूपी बोर्ड टेंडर आमंत्रित कर पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित कराने की तैयारी कर रहा है। इस प्रक्रिया में करीब तीन महीने का समय लग सकता है। ऐसे में ग्रीष्म अवकाश के बाद जुलाई में विद्यालय खुलने के साथ ही छात्र-छात्राओं के लिए एनसीईआरटी आधारित पाठ्यक्रम की नई पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध सकेंगी।

वर्ष 2020-2021 की किताबों की रायल्टी का पैसा यूपी बोर्ड द्वारा नहीं चुकाए जाने के बावजूद एनसीईआरटी ने दो वर्ष इस प्रत्याशा में पुस्तकें प्रकाशित करने की अनुमति दी थी कि भुगतान हो जाएगा। भुगतान नहीं किए जाने पर एनसीईआरटी ने 2023-24 एवं 2024-25 सत्र में पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन की अनुमति नहीं दी। रायल्टी का बकाया भुगतान किए जाने के लिए बोर्ड ने पूर्व में भी शासन को पत्र लिखा, लेकिन अनुमति नहीं मिली थी। इसके चलते पुरानी किताबों की व्यवस्था कर तथा आनलाइन उपलब्ध पुस्तकों से पठन-पाठन कराया गया। 

अब 2025-26 के सत्र लिए भी यही स्थिति न बने, इसलिए बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने भुगतान के लिए शासन को पत्र लिखा। बैठक भी आयोजित की गई। शासन से रायल्टी की बकाया धनराशि के भुगतान की अनुमति मिल गई। भुगतान के बाद अब यूपी बोर्ड पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन के लिए जल्द टेंडर आमंत्रित करेगा। यूपी बोर्ड के विद्यालयों में हाईस्कूल के 49 तथा इंटरमीडिएट के 103 विषयों की पढ़ाई होती है। इसमें बोर्ड ने प्रमुख 36 विषयों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम अपनाया है।




यूपी बोर्ड के विद्यार्थियों को किताबों के लिए करना होगा 3 माह का इंतजार, दस दिन बाद एक अप्रैल से शुरू हो रहा नया शैक्षणिक सत्र

■ एनसीईआरटी किताबों के लिए अब तक जारी नहीं हो सका टेंडर

■ पिछले साल जीएसटी-रॉयल्टी के विवाद में नहीं छपी थीं किताबें


प्रयागराज । यूपी बोर्ड से जुड़े 27 हजार स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को नए सत्र में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (एनसीईआरटी) किताबों के लिए कम से कम तीन महीने इंतजार करना होगा। प्रदेशभर के माध्यमिक स्कूलों में 2025-26 सत्र की शुरुआत एक अप्रैल से होनी है जबकि किताबें बाजार में जून अंत या जुलाई के पहले सप्ताह में ही उपलब्ध हो सकेंगी।



यूपी बोर्ड ने हिन्दी, संस्कृत और उर्दू की अपनी किताबों का टेंडर तो 12 मार्च को जारी कर दिया है और चार अप्रैल को खोला जाएगा लेकिन एनसीईआरटी किताबों के लिए टेंडर की अनुमति अब तक शासन से नहीं मिल सकी है। ये अलग बात है कि माध्यमिक शिक्षा निदेशक और यूपी बोर्ड के सभापति डॉ. महेन्द्र देव ने एनसीईआरटी से किताबों का कॉपीराइट मांगने के लिए शासन से अक्टूबर में ही अनुमति मांग ली थी।


हर बार जुलाई तक उपलब्ध हो पाती हैं किताबें

एक अप्रैल से नया सत्र शुरू होने और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों के समय से किताबें उपलब्ध कराने के दावों के बावजूद हर साल जुलाई तक ही किताबें बाजार में पहुंच पाती हैं। पिछले साल तो किताबें छप ही नहीं सकी थीं। उससे पहले के सत्रों में भी जुलाई तक ही किताबें उपलब्ध हो सकी हैं। इसके चलते अधिकांश छात्र-छात्राओं को महंगी और अनाधिकृत किताबें खरीदनी पड़ती हैं। सत्र शुरू होने के साथ ही शिक्षक विद्यार्थियों पर किताबें खरीदने का दबाव बनाने लगते हैं और अप्रैल में ही अधिकांश बच्चे महंगी किताबें खरीद लेते हैं।


सूत्रों के अनुसार, मार्च अंत तक अनुमति मिलने की उम्मीद है जिसके बाद छपाई की प्रक्रिया शुरू होगी और किताबों के बाजार में आने में कम से कम तीन महीने का समय लग जाएगा। टेंडर जारी होने में अमूमन एक महीने का समय लगता है। उसके बाद प्रकाशकों को अपनी तैयारी करने में लगभग एक महीने लग जाते हैं और फिर प्रकाशन से लेकर बाजार तक पहुंचाने में न्यूनतम एक महीने का समय चाहिए होता है।


हालांकि एक अच्छी बात है कि शासन ने रॉयल्टी और जीएसटी के दो करोड़ से अधिक के भुगतान की अनुमति दे दी है जिससे इस सत्र में एनसीईआरटी किताबों के प्रकाशन का रास्ता साफ हो गया है। पिछले साल यूपी बोर्ड और प्रकाशकों के बीच इसी विवाद के कारण किताबों का प्रकाशन नहीं हो सका था। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह का कहना है कि किताबों के प्रकाशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और तीन महीने में एनसीईआरटी किताबें बाजार में सुलभहो जाएंगी।



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