सहायता प्राप्त संस्कृत महाविद्यालयों और माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों में नियमित शिक्षकों की नियुक्ति एक बार फिर प्रबंधकों को देने की तैयारी

सहायता प्राप्त संस्कृत महाविद्यालयों और माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों में नियमित शिक्षकों की नियुक्ति एक बार फिर प्रबंधकों को देने की तैयारी

∎ शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश सरकार को भेजा प्रस्ताव 
∎ वर्तमान में किसी संस्था के पास नहीं भर्ती का जिम्मा


प्रयागराज । प्रदेश के 403 सहायता प्राप्त संस्कृत महाविद्यालयों और 570 माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों में नियमित शिक्षकों की नियुक्ति एक बार फिर प्रबंधकों को देने की तैयारी है। शिक्षा निदेशालय की ओर से सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है कि सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों महाविद्यालयों में पूर्व की तरह प्रबंधकों के माध्यम से ही शिक्षकों की नियुक्ति की जाए। पिछले कई सालों से इन संस्थाओं में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है। शिक्षकों की कमी से जूझ रहे स्कूलों में तीन साल पहले स्थायी शिक्षकों की मानदेय पर नियुक्ति हुई थी।



सरकार ने 28 मार्च 2018 को उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद (संस्थानों के प्रधानों, अध्यापकों एवं संस्थानों के अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति एवं सेवा शर्ते) विनियमावली -2009 में संशोधन के बाद सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों के चयन का अधिकार उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को दिया था। उसके बाद 2019 में माध्यमिक शिक्षा विभाग ने संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में 1282 शिक्षकों के रिक्त पदों की सूचना भेजी थी।


इसी प्रकार महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को दी गई थी। हालांकि इन दोनों ही संस्थाओं का नवगठित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग में विलय हो चुका है। नवगठित आयोग को संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति की जिम्मेदारी नहीं मिली है। ऐसे में स्थायी शिक्षकों की चयन की समस्या दूर करने के लिए शिक्षा निदेशालय ने नए सिरे से शासन को प्रस्ताव भेजा है।


संस्कृत महाविद्यालय में शिक्षकों के आधे पद खाली

संस्कृत विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में स्थायी शिक्षकों के लगभग आधे पद खाली हैं। 17 मार्च 2023 को शासन में हुई बैठक में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार एडेड संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में अध्यापकों के सृजित 2085 पदों में से 1064 कार्यरत थे और 1021 खाली थे। प्रधानाचार्यों के सृजित 570 पदों में से 263 कार्यरत और 307 रिक्त थे। महाविद्यालयों में प्राचार्य के 403 पदों में से 154 कार्यरत और 249 रिक्त थे और शिक्षकों के 1889 पदों में से 960 कार्यरत और 929 खाली थे। बड़ी संख्या में शिक्षक सेवानिवृत्त हुए हैं।





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