देश-विदेश में संचालित 1253 केंद्रीय विद्यालयों में एक अप्रैल से शुरू हो नए शैक्षणिक सत्र 2025-26 में कक्षा एक और दो में हिन्दी, अंग्रेजी और गणित की पढ़ाई पर पहले से अधिक जोर दिया जाएगा। अब तक एक सप्ताह में छह पीरियड होते थे लेकिन नए सत्र से बच्चों को दस-दस कक्षाएं पढ़नी होगी। पहले पांचवीं तक के बच्चों के लिए शनिवार को फन-डे होता था जो अब समाप्त कर दिया गया है।
राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा (एनसीएफ) 2023 के अनुरूप केंद्रीय विद्यालय संगठन ने कक्षा एक से आठ तक के टाइम टेबल में बदलाव किया है। सप्ताह में 40 की बजाय अब 48 पीरियड लगेंगे। इस सत्र तक प्रति सप्ताह एनवायरनमेंट स्टडीज की छह और वर्क एजुकेशन व कंप्यूटर साक्षरता की दो-दो कक्षाएं लगती थीं। अब इन विषयों की पढ़ाई नहीं होगी। नए सत्र से बागवानी विषय को जोड़ा गया है जिसकी सप्ताह में चार कक्षाएं चलेंगी। आर्ट्स की चार क्लास के स्थान पर छह पीरियड होंगे। एनसीएफ की संस्तुति के अनुसार इसमें दृश्य कला के चार और प्रदर्शन कला के दो क्लास होंगे। दूसरे पीरियड के बाद 10 मिनट का स्नैक्स ब्रेक और चौथे पीरियड के बाद 20 मिनट का अवकाश होगा।
कक्षा चार और पांच में बढ़े पीरियड
इसी क्रम में कक्षा चार और पांच के बच्चों को सप्ताह में 40 की बजाय 48 पीरियड पढ़ना होगा। इन कक्षाओं में पहले हिन्दी, अंग्रेजी और गणित के छह-छह पीरियड थे जो हिन्दी-अंग्रेजी में सात-सात और गणित में आठ हो गए हैं। हमारा संसार विषय पहले नहीं था, इस सत्र से दस पीरियड जुड़े हैं। आर्ट्स और शारीरिक शिक्षा के चार-चार पीरियड थे जो अब पांच-पांच हो गए हैं। कक्षा तीन के बच्चों को क्रिएटिव लर्निंग एक्टिविटी और डिजिटल साक्षरता की दो-दो कक्षाएं पढ़नी होगी, पहले उन्हें ये विषय नहीं पढ़ाए जाते थे।
केंद्रीय विद्यालयों में नए सत्र से नए टाइम टेबल के अनुसार कक्षाएं चलाई जाएंगी। इस संबंध में निर्देश मिले हैं और एनसीएफ की अनुशंसा के अनुरूप बदलाव किया जा रहा है।
राजीव कुमार तिवारी, प्राचार्य केंद्रीय विद्यालय ओल्ड कैंट
● संजोग मिश्र
सात-आठ के बच्चों को देंगे व्यावसायिक शिक्षा
कक्षा छह से आठ तक में मामूली बदलाव हुआ है। कक्षा सात और आठ के बच्चों के कोर्स में व्यवसायिक शिक्षा जोड़ी गई है और प्रति सप्ताह तीन पीरियड लगेंगे। कक्षा छह के बच्चों को क्रिएटिव लर्निंग एक्टिविटी और डिजिटल साक्षरता की दो-दो कक्षाएं पढ़नी होगी, पहले उन्हें ये विषय नहीं पढ़ाए जाते थे।
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