छात्रों की तर्ज पर देश भर के प्रोफेसर भी एक साल तक इंडस्ट्री में करेंगे फेलोशिप, इंजीनियरिंग कॉलेजों के 45 वर्ष की आयु तक वाले असिस्टेंट, एसोसिएट और प्रोफेसर को मिलेगा मौका
वेतन के अलावा एक लाख रुपये प्रति माह मिलेगी फेलोशिप
नए जमाने के रोजगार के लिहाज से युवाओं को तैयार करने से पहले शिक्षकों को है तैयार करना
नई दिल्ली। पहली बार छात्रों की तर्ज पर प्रोफेसर भी इंडस्ट्री में जाकर एक साल की फेलोशिप करेंगे। केंद्र सरकार ने इंजीनियरिंग कॉलेजों के प्रोफेसर को इंडस्ट्री में जाकर फेलोशिप करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विजिटर यानी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पिछले दिनों इंडस्ट्री की जरूरतों और उभरते क्षेत्रों में युवाओं को प्रशिक्षित करने से पहले, प्रोफेसर को तैयार करना का निर्देश दिया है। इसमें 45 आयु वर्ग के अस्सिटेंट, एसोसिएट और प्रोफेसर को फेलोशिप को मौका मिलेगा।
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के उपाध्यक्ष प्रोफेसर अभय जेरे ने बताया कि शैक्षणिक सत्र 2025-26 से देशभर के सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों के 45 आयु वर्ग तक के प्रोफेसर इस फेलोशिप योजना के तहत आवेदन कर सकेंगे। उससे पहले उन्हें इस योजना का लाभ लेने के लिए पंजीकरण करना अनिवार्य होगा।
फेलोशिप योजना का मकसद, नए जमाने के रोजगार के लिहाज से युवाओं को तैयार करने से पहले शिक्षकों को तैयार करना है। शिक्षक इंडस्ट्री में जाकर उनके काम को समझेंगे, ताकि उन्हें पता लगे कि उनकी जरूरत क्या है।
वेतन के अलावा एक लाख रुपये प्रति माह मिलेगी फेलोशिप
इंडस्ट्री में जाकर एक साल तक फेलोशिप करने वाले प्रोफेसर को उनका वेतन तो मिलेगा ही। इसके अलावा हर महीने उनको एक लाख रुपये फेलोशिप के भी अतिरिक्त मिलेंगे। इसका मकसद, अधिक से अधिक प्रोफेसर को इंडस्ट्री से जोड़ना है। इस दौरान इंडस्ट्री उन्हें अपनी जरूरतों के आधार पर तैयार करने की ट्रेनिंग देगी। वे आगे जाकर छात्रों को तैयार करेंगे।
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